मेरी हर एक आज्ञा में चुपी थी मेरी तमन्ना,
तू न मेहसूस ना की ये और बात है,
मैने हर बांध तेरे हाय ख्वाब देखे,
मुहम्मद ताबिर ना मिली ये और बात है,
मैने जब भी तुझ से बात कर्ण चाही,
मुहम्मद अल्फज ना मील ये और बात है,
मुख्य मेरी तमन्ना के समंदर में दरवाजे तक निकली,
मुझ साहिल ना मिला ये और बात है,
कुदरत ने लिखी थी तुज मेरी तमन्ना मे,
तेरी क्यूमत में मुख्य ना था ये और बात है …