Kuch Dil Ke Zajbaat

मुझ मेर wafa ka sila khoob mila hai
वो ख़ुदा गहराओ को कहीं माफ नहीं करता

यूके पे डेरे है और कभी नहीं है
दीखी है humne der भी भी और भी dono

Hamne chaman को देखचा apne जिगर लाहू से
काईटेरे हाय भी, फिर भी जिगर चेयर को मात्र

अब तक तू न कुबुल हुई कोई भी दूआ
अब मट हैंगी है कि क्या नहीं है

एक मौलता की अरज़ू मुझ कात वह उमर है
तुमने भी भिज दी भी बहना भी अब गया

कोई सर्फरोष हॉग जो तुज नज़ार मिलैये
हम तोहरे लोग हैं तेरी चौखट हैं

अभि से कू जालते हो तु छान घी क
इन्हें संभाल रखो मेरी कबर पे औरहेरा हो गया

जब भी आकाश टापू मेगा अपर हाय गरेगा
यूपर वाल से रीस्ता हाय कुछ आसा है हैमारा

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