कहां मुमकिन था माई दिल से तेरे दिन याद करते हैं
भला काइसे मेरी जीता फिर अगड़ तुज को बुला दिता
तेरी रुश्ई के दार से लोगान को देख लीया चेतावनी
तेरे शेर-ए-मुफ्तीफिक की माई बुनदैद हिला दिता
क्या तार्क-ए-वफा हम ने हमें हो जी कि की मेज़बरी
जिस्से बर्सन दुआ दी थी आपसे क्या बददान हो
खाबर होती अगर मुझ में नहीं है भी मुक्केदार में
Ussi lamhe माई हठोन की lakeeron को मीता deta …