Aao aaj is Sharab ko..

शिरब शिर को ख़ाम करती है
शरीफ समाज को ख़त्म करती है
आओ आह शारब को ख़ाम करते है
एक बटल तू ख़ुदा कर एक ही है हम करते है।

दिल मुझे एक दाद लिया जोये जाने वाले हैं,
तेरी मुहब्बत का जाम था जहां हूं हूं,
ना चले हैं ये भी काम करने जा रहे हैं,
ना येन ख़ुद को काऊ समझने के लिए प्यार करता हूँ।

धरम में उरिया, मिनरल वॉटर मी कैस्टी सोडा,
पेप्सी और कोक में कीटनाशक, यनी पानी वाणी भी खरीब,
अब हम क्या करे, शुद्ध बाखी भी है सिफ ये शारब ..

बटल Chupa देना कफन में मेरी
शमशान में पिया करंगा
जब मंगेगा थेब ख़ुदा;
भी पेग बाना कर दिव्या कांग्गा का उपयोग करने के लिए …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.