ये दुआ है आँटीश-ए-इस्च में तू भी मेरे तार जला कर,
ना हो ख़ुशी नसीब तुझे तेरे दिल में दादा उठे,
तेरे सौने तेरा घर जेल तेरा बस चले ना बुझा खाति,
तेरे दिल से निकल या तो दुआ के घर की का जला करो।
हर नामी मुझे कुछ कामो थोड़े,
अभी भी शबनी हुई हैगी,
जिंदगी को हू किटना भी सावरे,
बिन अपने आप कुछ भी हो गया
हमस अपना घर किसी तारा सजय ना गया,
जिंदगी तुज भही मेहमान बनया ना गया,
लाखोन दिलचस्पी के सामन थाई दिनिया मी मगर,
एक लामा भी तुझे तुझे प्यार से ना गया
कबी याडेन कबी सपन सुहेले भाजे deta पारा
मुझ्े अस्कर वो यदोन के ख़जाने भेज पाए हा
मुझे जाब गुज़रे डिनो की बातियोन को भौं जत हुं
मुझ फ़िर कोई बीतेय जमानी भेज पाए हा
कबी कश्मीन् कबी ईधा-ए-वोफा का होसला देय कर
मुंह वो जिंदा रेहने के बहाने भेज टूट पके ..!
मुख्य हाय थम शकुंह उतार,
मुज पी इटिनी इबादात सी करे,
वो रि ना पाये एक पाल भी मेरी बिना,
ये ख़ुदा तू मुझे मेरी आड़त करे … ..
इटें मजबोर है तेकदेर के हैथोन …।
ना प्रयोग पाने का होसला है,
नाइये खोनै का ज़ारफ … ..