अजाब दुर्ययन हन ये हलात केआई
नज़र धर की दिशा में कुछ बात की ..
क्यो अरज़ू की मुल्ककेट …
ये रसान भी कोई नहीं पचता …
काह दीन गुज़ारा ??
कहां रात की ………
पट्स ये चाला वो हा हागी संगील
काडर का प्रयोग केवल जजाबैट केआई ……… ..
तुम पाप भी हो हमले में ………………… ..
आजाद दुर्ययन हां तु हलाट की …… .. ,,
कसम है ना बुली ”
मालिका “कभी
जो गौरदी गजारी तेरे सब की ………………… .. !!!!