Kabhi Aana To Halka Sa Ishaara Dena…

कभी शाम वाली आंचल का कनरा देना,
मीन अगर दोब के उभरोँ को सहारा देना

तेरी उल्लात में मुकमल हूण हर पीहलू से,
मुझ दादर भी देना से सारा देना तक।

मेरा तुझ ग़म के समंदर में कनवारा दोन्गा,
तू मुझ हिजार की तफ़ान में बैठे थे

मुख्य तेरी ये सेहरा मुझे रिहता हूं “अस्की”
कभी कभी से हर साल देना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.